शीतला माता की उपासना बसंत तथा ग्रीष्म में होती है जब रोगों के संक्रमण की सर्वाधिक संभावनाएं होती हैं| चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ तथा आसाढ़ की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतलाष्टमी के रूप में मनाया जाता है. माता शीतला की पूजा वास्तव में आध्यात्मिक और शारीरिक उन्नति की पूजा है|
शीतला अष्टमी के दिन घर का चूल्हा नहीं जलाया जाता. इसलिए शीतला अष्टमी से एक दिन पहले ही लोग आमतौर पर खाना बनाकर रख लेते हैं और शीतला अष्टमी के दिन वही खाते हैं| मां शीतला को भी शीतल और बासी खाद्य पदार्थ चढ़ाया जाता है, जिसको बसौड़ा भी कहते हैं| इस दिन सूर्य उगने से पहले ही स्नान कर मां शीतला की पूजा की जाती है| भक्त मां शीतला की मूर्ति को चंदन, हल्दी, सिंदूर लगाया जाता है और फल-फूल चढ़ाया जाता है| इसके अलावा मां को 16 तरह का चढ़ावा चढ़ता है|