अगर आपके घर के किसी भी नल या फिर टंकी में से पानी टपकता है तो इसका मतलब है कि आपके घर से धन का अत्याधिक व्यय हो रहा है।
इन्हें हमेंशा ठीक रखें। शास्त्रों में जल को देवता कहा गया है, जब कोई बिना कारण जल का अपव्यय करता है तो उसके घर धन नहीं रुक पाता।
आप जब भी जल पीए उतना ही ग्लास में लें जितने की आवश्यकता हो, यदि जल गिलास में बच जाए तो उसे बहा दीजिए, उसे फेंके नहीं।
बर्बाद पानी को धन बराबर हानि मानने वाले कहीं भूखे नहीं रहेंगे, यह वास्तुशास्त्र का सिद्धान्त है।
हवा का प्रवाह में कमी, और दीवारों से आती नहीं, अर्थात् पानी भरी नींव। हवा पूरब-पश्चिम से आती जाती रहे, वक्त पर धूप आए, साथ ही नीव ठीक करानी चाहिेए।
घर में दमा का रोगी हो तो अपने बैठने वाले कमरे की, पश्चिम दिशा की दीवार पर पेंडुलम वाली सफेद या सुनहरी-पीले रंग की दीवार घड़ी लगा देनी चाहिए।
ईशान दिशा में ना रखें कचरा, आवास, घर फैक्ट्री, बिल्डिंग के उत्तर-पूर्व में कभी भी कचरा इकट्ठा ना होने दें और इधर भारी सामान, गंदा काम, भारी मशीने आदि कभी नहीं रखें, इससे आपके घर में वास्तु दोष लगता है।
साथ आप अपनी वंश की उन्नति के लिए मुख्य द्वार पर सफेद आंखा, आंवला, तुलसी, अशोक का वृक्ष दोनों तरफ लगाएं।इससे आपके घर का वास्तुदोष काफी हद तक समाप्त होगा साथ ही नकारात्मक ऊर्जा कभी घर में प्रवेश नहीं करेगी।
पश्चिम कोण में कुआं, जल बोरिंग या भूमिगत पानी का स्थान होने से धन हानि निश्चित ही होती है। शरीर में शुगर बढ़ने लगता है।
दक्षिण-पश्चिम कोण में हरियाली, बगीचा या छोटे-छोटे पौधे भी हानि न मानसिक कलेश का कारण बनता है।
दक्षिण-पश्चिम ऊंचा व ठोस होना चाहिए, प्लॉट का दक्षिण-पश्चिम कोना बढ़ा हुआ है तब भी शुगर का आक्रमण सम्भव है।